क्षेत्रीय भाषा केंद्र

शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार

भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल), मैसूर

क्षेत्रीय भाषा केंद्र एवं विस्तार सेवाएँ

क्षेत्रीय भाषा केंद्र एवं विस्तार सेवाएँ

क्षेत्रीय भाषा केंद्र की पृष्ठभूमि

उद्देश्य

  • सीआईआईएल के क्षेत्रीय भाषा केंद्रों का मुख्य उद्देश्य (ईएफसी ज्ञापन सं. दिनांक 17 सितंबर 1969 F.4-1/69-IL-II द्वारा निर्धारित) राज्य सरकारों को त्रि-भाषा सूत्र के कार्यान्वन में सहयोग देना ।

  • स्रोत व्यक्ति व सामग्री (रिसोर्स पर्सन) निर्माण ।

  • विभिन्न भाषाओं में अल्पकालिक व गहन पाठ्यक्रम सहित पूर्णकालिक पाठ्यक्रमों का प्रस्ताव ।

  • देश के स्नातक शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करना ।

स्थान व अन्य विवरण :

  • सन् 1970 में राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों में प्रशिक्षित शिक्षकों को उपलब्ध कराने के लिए त्रि-भाषा सूत्र के कार्यान्वन हेतु संघ शिक्षा द्वारा संसद में किए गए वादे को पूरा करने के लिए चार क्षेत्रीय भाषा केंद्र (आरएलसी) स्थापित किए गए थे।

  • प्रथम चार केंद्र हैं – ईआरएलसी, लक्ष्मीसागर, भुवनेश्वर, एनआरएलसी, पंजाबी विश्वविद्यालय परिसर, पटियाला-2, एसआरएलसी, मानसगंगोत्री, मैसूर-6 एवं डब्लयूआरएलसी, दक्कन कॉलेज परिसर, पुणे-6 ।

  • इसके पश्चात् हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों के अनुरोध पर दो अन्य केंद्र, यूटीआरसी, सोलन, सप्रूं, हिमाचल प्रदेश एवं यूटीआरसी, मदन मोहन मालवीय मार्ग, लखनऊ-2, स्थापित किए गए।

  • असम समझौते के कार्यान्वयन हेतु भारत सरकार की प्रतिबद्धता की अंशीय पूर्ति के लिए सन् 1989 में एनईआरएलसी की स्थापना की गई थी।

अवसंरचना

  • एसआरएलसी, एनआरएलसी, ईआरएलसी कार्यालय एवं छात्रावास हेतु अपनी निजी भवनों से संयुक्त रमणीय परिसरों में कार्यरत हैं। अन्य केंद्र राज्य सरकारों व स्वायत्त निकायों द्वारा प्रदत्त एवं किराए पर लिए गए भवनों में कार्य कर रहे हैं।

आर.एल.सी. संबंधित वर्तमान सूचनाएँ

भौतिक सुविधाएँ

प्रत्येक केंद्र में निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध हैं:

  • कार्यालय, शिक्षण-गृह, प्रेक्षागृह व छात्रावास भवन

  • 15,000 पुस्तकों से अधिक एवं लगभग 20 शोध-पत्रिकाओं, सुसज्जित अध्ययन-कक्षों व संदर्भ अनुभागों से युक्त पुस्तकालय

  • आधुनिक श्रव्य एवं दृश्य उपकरणों सहित 20 से 25 प्रकोष्ठ युक्त आधुनिक भाषा प्रयोगशाला

  • पुनर्लेखन (रिप्रोग्राफ़िक) अनुभाग

  • आधुनिक संप्रेषण सुविधाएँ

जनशक्ति:

  • एक प्रधान सहित संकाय सदस्य - चार तमिल के लिए, चार कन्नड़ के लिए एवं प्रत्येक भाषा के लिए दो सदस्य व अनिवार्य लिपिकवर्गीय कर्मचारी

  • कुछ केंद्रों में कनिष्ठ अनुसंधान अधिकारी एवं अनुसंधान सहायकों के लिए पद हैं जो विभिन्न भाषा संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान कर रहे हैं।

पुस्तकालय

प्रत्येक केंद्र के पुस्तकालय में निम्नलिखित पाठ्यसामग्री उपलब्ध हैं:

  • संबंधित केंद्र में पढ़ाई जा रही भाषाओं की पुस्तकें

  • भाषाविज्ञान की पुस्तकें

  • सामान्य अंग्रेज़ी एवं सामान्य ज्ञान की पुस्तकें

  • संबंधित भाषाओं एवं अंग्रेज़ी की पुस्तकें

  • विश्वकोश.

  • भाषाविज्ञान की पत्रिकाएँ

  • संबंधित भारतीय भाषाओं की शैक्षिक पत्रिकाएँ

  • समाचारपत्र

  • मानचित्र व संचित्र

प्रशिक्षण सेवा

निम्नलिखित केंद्र पंद्रह भाषाओं में दस महीने के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का डिप्लोमा प्रदान करते हैं:

  • एसआरएलसी - कन्नड़, मलयालम, तमिल व तेलुगु भाषाओं में

  • डब्ल्यूआरएलसी - गुजराती, मराठी व सिंधी भाषाओं में

  • ईआरएलसी - असमिया, बंगाली व उड़िया भाषाओं में

  • एनआरएलसी- कश्मीरी, पंजाबी व उर्दू भाषाओं में

  • यूटीआरसी - उर्दू भाषा में

  • यूटीआरसी (सोलन) - उर्दू भाषा में

  • एनईआरएलसी- मणिपुरी व नेपाली भाषाओं में

  • केंद्र प्राथमिक, मिडिल व माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों को मातृभाषा शिक्षण में अभिविन्यास (ओरिएन्टेशन) पाठ्यक्रम भी चलाते हैं ।

  • केंद्र चयनित उपभोक्ताओं के लिए भारतीय भाषाओं में प्रयोजन-आधारित पाठ्यक्रम भी चलाते हैं ।

  • केंद्र बंगाली, मराठी, तमिल, तेलुगु व उर्दू भाषाओं में संपर्क-व-पत्राचार पाठ्यक्रम का डिप्लोमा भी प्रदान करते हैं ।

अनुसंधान व सामग्री उत्पादन

क. प्रत्येक केंद्र वहाँ पढ़ाई जाने वाली भाषाओं में हो रहे मौलिक अनुसंधान में रत हैं। इसके अलावा, कुछ केंद्र क्षेत्र के आदिवासी या सीमा भाषाओं में अनुसंधान भी संचालित कर रहे हैं।

ख. प्रत्येक केंद्र द्वितीय भाषा शिक्षण से संबंधित आवश्यक सामग्रियों का उत्पादन भी करते हैं। इन सामग्रियों में सम्मिलित हैं:

  1. प्रत्येक भाषा में एक इन्टेंसिव कोर्स

  2. एक फ़ोनेटिक रीडर

  3. एक इंटरमीडिएट रीडर

  4. एक ऐडवांस कोर्स रीडर

  5. एक कल्चरल रीडर

  6. एक रीकॉल वोकैब्लरी

  7. हिंदी-क्षेत्रीय भाषा की एक कॉमन वोकैब्लरी

  8. संबंधित भाषाओं का एक संक्षिप्त इतिहास

  9. एक लिपि पुस्तक

  10. एक सचित्र शब्दावली

ग. केंद्र स्कूली बच्चों के लिए भारतीय भाषाओं के शिक्षण को सरल बनाने हेतु पाठ्य पुस्तकों का उत्पादन भी करते हैं ।

  1. स्टेट स्कूल रीडर – स्तर I, II व III

  2. प्रत्येक भाषा में स्कूली बच्चों के लिए मॉडल प्रश्न-पत्र

घ. अनुसंधान

क्षेत्रीय भाषा केंद्र द्वारा दो अनुसंधान परियोजनाओं का संकलन किया गया है -

  • बंगाली प्रशिक्षुओं की अंतरभाषिक एवं विकासात्मक त्रुटियाँ- द्वारा डॉ. पी.एन. दत्त बरुआ

  • बोड़ो एवं असमिया माध्यम के विद्यालयों में कक्षागत पर्यवेक्षण

क्षेत्रीय भाषा केंद्र संकाय सदस्यों ने त्रुटि विश्लेषण पर कई अनुसंधान किए हैं। इनमें से निम्नलिखित महत्वपूर्ण हैं -

  • - उर्दू प्रशिक्षुओं की त्रुटियाँ।

  • - तमिल प्रशिक्षुओं की त्रुटियाँ।

  • - गुजराती प्रशिक्षुओं की त्रुटियाँ।

प्रकाशन

  • भारतीय भाषा संस्थान द्वारा सभी भाषाओं में इन्टेंसिव कोर्स, फ़ोनेटिक रीडर, शब्द संग्रह(वोकैब्लरी) व प्रदेश स्कूली रीडर प्रकाशित किए गए हैं। ज़्यादातर भाषाओं में इंटरमीडिएट, ऐडवांस रीडर व सचित्र शब्दावलियाँ भी प्रकाशित की गई हैं एवं अन्य भाषाओं में इनका प्रकाशन विभिन्न स्तरों पर है।

सहयोग

  • केंद्र राज्य सरकारी एजेंसियों जैसे एससीईआरटी, एसएलआई, सांस्कृतिक व साहित्य अकादमियाँ एवं अन्य भाषा व जनजातीय अनुसंधान संगठनों, क्षेत्र के माध्यमिक शिक्षाओं के निदेशालयों एवं क्षेत्र के विश्वविद्यालयों के विभाग से नज़दीकी संपर्क बनाए रखते हैं।

  • केंद्र उपर्युक्त राजकीय निकायों को भाषा संबंधी सलाह देते हैं, सहयोगपूर्ण कार्यक्रम जैसे गोष्ठियाँ, कार्यशालाएँ, संक्षिप्त अवधि वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि संचालित करते हैं एवं शब्दकोशों के निर्माण व शास्त्रीय कृत्यों के अनुवाद हेतु सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर कार्य करते हैं।

सर्वेक्षण व संवाद

The various Centres of the Institute conduct :

  • Various Seminars, Conferences and workshops in various language related issues for enriching knowledge base by sharing ideas with scholars drawn from different Institutions.

  • Contact programmes for giving on the spot conselling to ex-trainees and creating awareness among educational authorities of States

  • Inspection of schools where teaching of various Indian languages are going on and offer consultations.

  • Test in Indian Languages for the school children who are learning languages under C.I.I.L scheme

    क्षेत्रीय क्रियाकलाप

    • विभिन्न भाषाओं में लगभग 300 पुनश्चर्या पाठ्यक्रम संचालित किए गए हैं।

    • विभिन्न राज्यों के विद्यालयों में 380 बुक स्टॉल स्थापित किए गए हैं।

    • विभिन्न भाषाओं में लगभग 120 एन.आई. शिविर लगाए गए हैं जिसमें हमारे भूतपूर्व प्रशिक्षुओं से गैर-मातृभाषा सीखने वाले स्कूली बच्चे भाग लेते हैं एवं आयोजक राज्यों के मित्र समूहों से मिलते हैं।

    • स्कूलों में लगभग 4000 प्रशिक्षित शिक्षक स्कूली पाठ्यचर्या के अंतर्गत या इसके अतिरिक्त भाषा-शिक्षण में संलग्न हैं।

    • सीआईआईएल योजना (स्कीम) के अंतर्गत स्कूलों में लगभग 3000 शिक्षकों ने भाषा-शिक्षण हेतु नकद प्रोत्साहन प्राप्त किया है।

    भावी कार्यक्रम

    क्षेत्रीय भाषा केंद्रों के भावी विचार निम्नलिखित हैं -

    • 15 भाषाओं में प्रशिक्षुओं की वार्षिक क्षमता में 600 तक की वृद्धि

    • प्रति वर्ष 15 भाषाओं में एन.आई. शिविरों का संचालन

    • प्रति वर्ष 15 पुनश्चर्या पाठ्यक्रमों का संचालन

    • भूतपूर्व शिक्षक-प्रशिक्षुओं व शिक्षा अधिकारियों हेतु प्रति वर्ष 7 क्षेत्रों में 7 संपर्क कार्यक्रमों का आयोजन

    • प्रति वर्ष 17 भाषाओं में 20 बुक-स्टॉल की स्थापना

    • सभी 17 भाषाओं हेतु स्कूलों में भाषा-परीक्षा का आयोजन

    • स्कूलों में भाषा शिक्षण हेतु नियुक्त शिक्षकों के नकद भत्ते में वृद्धि

    • प्रत्येक क्षेत्रीय केंद्र में एक सूचना केंद्र की स्थापना

    • स्कूलों में जहां शिक्षण चल रहा है वहाँ नियमित विस्तार (स्कूल निरीक्षण) कार्यक्रमों का आयोजन

    • राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों को सीआईआईएल योजना (स्कीम) के अंतर्गत भारतीय भाषाओं के शिक्षण को शामिल करने के लिए राजी करना