क्षेत्रीय भाषा केंद्र

शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार

भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल), मैसूर

हमारे बारे में


भारतीय भाषा संस्थान ने विद्यालयी शिक्षकों को द्वितीय भाषा में प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से मैसूर, भुवनेश्वर, पटियाला, पुणे, सोलन, लखनऊ और गुवाहाटी (तालिका 1 देखें) में सात क्षेत्रीय भाषा केंद्र स्थापित किए हैं और इस प्रकार त्रिभाषा सूत्र के कार्यान्वयन और राष्ट्रीय एकता को स्थापित करने में योगदान दे रहे हैं। जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पैरा 4.13 में कहा गया है, त्रिभाषा सूत्र में बहुत अधिक लचीलापन होगा। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में अधिसूचित भाषाओं के शिक्षकों को बड़ी संख्या में नियुक्त करने की आवश्यकता है। भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अपने पाँच दशकों से अधिक के अनुभव के आधार पर क्षेत्रीय भाषा केंद्र भारत सरकार के सरकारी और सहायता प्राप्त सरकारी विद्यालयों में बड़ी संख्या में भाषा शिक्षक तैयार करने में मदद करेंगे और इस प्रकार त्रिभाषा सूत्र का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन जारी रहेगा।

क्षेत्रीय भाषा केंद्रों के आरंभ काल से ही प्रति वर्ष जुलाई से अप्रैल तक द्वितीय भाषा में विगत पाँच दशकों से अधिक समय से भाषा शिक्षा में दस माह का डिप्लोमा प्रदान किया जाता है। इसके अंतर्गत 1085 घंटे का प्रभावी ढंग का भाषा शिक्षण एवं भाषा अधिगम का कार्य सम्मिलित है। इस आवासीय कार्यक्रम हेतु प्रशिक्षणार्थियों की कुल संख्या 506 है।

यह गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम संबंधित द्वितीय भाषा में निपुणता प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। इस कार्यक्रम के सफलतापूर्वक संपन्न होने के उपरांत प्रशिक्षुओं (सेवारत शिक्षकों) से यह अपेक्षा की जाती है कि उन्होंने जो भाषा सीखी है उसे तृतीय भाषा के रूप में पढ़ाएँ, जिससे संबंधित राज्यों में त्रिभाषा सूत्र के कार्यान्वयन में योगदान दिया जा सके।

कर्नाटक, ओडिशा, पंजाब, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और असम सहित सात राज्यों में क्षेत्रीय भाषा केंद्र (आरएलसी) स्थित हैं। इन केंद्रों के शैक्षणिक सदस्य भाषा शिक्षण और अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान में प्रशिक्षित हैं। इनके पास पाठ्यचर्या विकास, पाठ्यपुस्तकों का निर्माण तथा मूल्यांकन, परीक्षण और अनुवाद सहित द्वितीय भाषा शिक्षण-अधिगम का दीर्घकालिक अनुभव है। वे न केवल शिक्षकों को प्रशिक्षण देते हैं अपितु भाषा, संस्कृति, द्विभाषावाद, अनुवाद और भाषा शिक्षा से संबंधित अन्य अनुशासनों के अध्ययन में नए आयाम भी खोलते हैं। क्षेत्रीय भाषा केंद्रों में भाषा शिक्षण के लिए पर्याप्त आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। एनईआरएलसी गुवाहाटी को छोड़कर शेष सभी केंद्रों पर 20-25 टर्मिनलों की एक सुसज्जित भाषा प्रयोगशाला तथा 15,000 से अधिक पुस्तकों, पत्रिकाओं और समाचार पत्रों से युक्त पुस्तकालय है। इन क्षेत्रीय भाषा केंद्रों के पुस्तकालयों में, वहाँ पढ़ाई जोने वाली भाषाओं में साहित्य और सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों के अतिरिक्त शब्दकोश, संदर्भ ग्रंथ, अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान से संबंधित सामान्य पुस्तकें, व्याकरण, अनुवाद और अन्य विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं में बहुतायत मात्रा में उपलब्ध हैं। प्रशिक्षु जिस भाषा को सीखते हैं उसमें अपने पठन कौशल को विकसित करके भाषा, साहित्य, आलोचना, सामाजिक और भाषायी शिक्षण से संबंधित अन्य विषयों में अपनी रुचि को पूरा कर सकते हैं।